ALL INDIA RANK – कोटा की कोचिंग संस्कृति और माता-पिता के सपनों की जद्दोजहद
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वरुण ग्रोवर, जो स्वयं एक IITian हैं, ने अपने निर्देशन की पहली फिल्म “ALL INDIA RANK” के जरिए 90 के दशक की कोटा कोचिंग संस्कृति और भारतीय मिडिल क्लास के संघर्षों को बखूबी पेश किया है। यह फिल्म उन छात्रों की कहानी बयां करती है, जो अपने माता-पिता के सपनों को पूरा करने के लिए आईआईटी की तैयारी करने के लिए कोटा जाते हैं। “ALL INDIA RANK” सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि एक भावनात्मक यात्रा है, जो छात्रों के मानसिक और भावनात्मक दबाव को चित्रित करती है।
“ALL INDIA RANK” का प्लॉट: माता-पिता के सपनों का बोझ
17 वर्षीय विवेक की कोटा यात्रा
फिल्म “ALL INDIA RANK” की कहानी 90 के दशक के एक 17 वर्षीय लड़के विवेक सिंह (Bodhisattva Sharma) की है, जो लखनऊ का रहने वाला है। वह एक शर्मीला और मासूम लड़का है, जो अपनी खुद की महत्वाकांक्षाओं से अधिक अपने माता-पिता के सपनों को पूरा करने के लिए कोटा आता है।
माता-पिता का सपना – IIT में प्रवेश
कोटा में पढ़ाई का दबाव और प्रतियोगिता
दोस्ती, अकेलापन, और किशोरावस्था की समस्याएँ
“ALL INDIA RANK” में विवेक की जद्दोजहद, संघर्ष और एक किशोर की मानसिक अवस्था को गहराई से दिखाया गया है।
“ALL INDIA RANK” के प्रमुख किरदार
- किरदार अभिनेता
- विवेक सिंह Bodhisattva Sharma
- विवेक के पिता Shashi Bhushan
- विवेक की मां Geeta Agarwal
- विशेष भूमिका Sheeba Chaddha
फिल्म “ALL INDIA RANK” में सभी कलाकारों ने शानदार अभिनय किया है। खासकर Bodhisattva Sharma ने विवेक के किरदार को बहुत ही स्वाभाविक और प्रभावशाली तरीके से निभाया है। उनकी मासूमियत और बेबसी को देखकर हर विद्यार्थी खुद को उनसे जोड़ सकता है।
“ALL INDIA RANK” की कहानी: कोटा का माहौल और छात्र जीवन

कोटा का कठिन जीवन और छात्रों का संघर्ष
फिल्म “ALL INDIA RANK” कोटा में पढ़ाई कर रहे छात्रों की हकीकत को उजागर करती है। इसमें दिखाया गया है कि कैसे एक आम भारतीय मिडिल क्लास परिवार के बच्चे को माता-पिता के सपनों का बोझ उठाना पड़ता है।
- कोचिंग संस्थानों का दबाव और प्रतियोगिता
- पीसीओ बूथ से घर कॉल करने की मजबूरी
- दोस्ती और विश्वासघात
- पढ़ाई में लगातार प्रदर्शन करने का दबाव
IIT का सपना: हकीकत और समाज की सोच
फिल्म में दिखाया गया है कि समाज में IIT को सफलता की गारंटी माना जाता है। एक बार अगर कोई छात्र IIT में दाखिला पा जाए, तो उसे नौकरी, प्रतिष्ठा और सम्मान अपने आप मिल जाता है। लेकिन क्या हर बच्चा इस दबाव को झेल सकता है?
“ALL INDIA RANK” इसी सवाल का जवाब देने की कोशिश करती है।
“All India Rank” का निर्देशन और पटकथा
वरुण ग्रोवर, जो खुद एक IIT Tian रह चुके हैं, ने इस फिल्म को बहुत ही बारीकी से लिखा और निर्देशित किया है। “ALL INDIA RANK” का हर दृश्य 90 के दशक के माहौल को जीवंत बना देता है।
- 90 के दशक की कोचिंग संस्कृति का शानदार चित्रण
- सटीक और प्रभावशाली संवाद
- छात्रों की भावनाओं को खूबसूरती से दिखाया गया
वरुण ग्रोवर ने “ALL INDIA RANK” में न केवल एक सशक्त कहानी दी है, बल्कि इसका संगीत भी बहुत प्रभावशाली बनाया है।
“ALL INDIA RANK” का संगीत और गाने
फिल्म “ALL INDIA RANK” के गाने और बैकग्राउंड म्यूजिक कहानी को और अधिक मजबूत बनाते हैं।
- भावनात्मक और प्रेरणादायक गीत
- 90 के दशक की ध्वनि और संगीत का खूबसूरत मिश्रण
- हर गाना फिल्म की थीम को और गहराई देता है
वरुण ग्रोवर ने गीतों में गहराई और भावनाओं को बखूबी पिरोया है, जिससे दर्शकों को जुड़ाव महसूस होता है।
“ALL INDIA RANK” बनाम “3 Idiots” और “Kota Factory”
क्या यह फिल्म कुछ नया कहती है?
“ALL INDIA RANK” का विषय नया नहीं है। इससे पहले “3 Idiots“, “Kota Factory“, और “Chhichhore” जैसी फिल्में भी भारतीय शिक्षा प्रणाली और माता-पिता की उम्मीदों पर आधारित रही हैं।
“3 Idiots” – हास्य के साथ गहरा सामाजिक संदेश
“Kota Factory” – कोटा की सच्चाई को काले और सफेद रंग में दर्शाया गया
“All India Rank” – 90 के दशक का माहौल और वास्तविकता पर आधारित कहानी
हालांकि, “ALL INDIA RANK” इन सभी से अलग है क्योंकि यह 90 के दशक की उस कोचिंग संस्कृति को दिखाती है, जहां इंटरनेट, स्मार्टफोन, और ऑनलाइन शिक्षा का कोई नामोनिशान नहीं था।
“ALL INDIA RANK” का IMDb रेटिंग और समीक्षा
फिल्म “ALL INDIA RANK” को IMDb पर 6/10 की रेटिंग मिली है। यह दर्शाता है कि फिल्म दर्शकों को पसंद आई, लेकिन इसमें कुछ नयापन नहीं था।
“ALL INDIA RANK” का मुख्य संदेश
माता-पिता को बच्चों पर अपने सपने नहीं थोपने चाहिए
फिल्म “ALL INDIA RANK” एक महत्वपूर्ण संदेश देती है – बच्चों को उनके खुद के सपने चुनने का मौका देना चाहिए। हर बच्चा डॉक्टर, इंजीनियर या आईआईटीयन नहीं बन सकता। माता-पिता को यह समझना होगा कि बच्चों की खुशी और मानसिक स्वास्थ्य सबसे महत्वपूर्ण है।
सफलता की परिभाषा सिर्फ IIT नहीं
“ALL INDIA RANK” यह भी दर्शाती है कि सफलता की परिभाषा सिर्फ IIT में दाखिला नहीं है। कोई भी बच्चा किसी भी क्षेत्र में सफल हो सकता है – चाहे वह किताबें लिखना हो या फिल्में बनाना।
निष्कर्ष:
क्या आपको “ALL INDIA RANK” देखनी चाहिए?
अगर आप 90 के दशक की कोचिंग संस्कृति को देखना चाहते हैं या अगर आप खुद कोटा में पढ़ चुके हैं, तो “ALL INDIA RANK” आपको पुरानी यादों में ले जाएगी। यह फिल्म माता-पिता और छात्रों दोनों के लिए जरूरी संदेश देती है। हालांकि, यह कोई नया विषय नहीं है, इसलिए अगर आपने पहले “3 Idiots” या “Kota Factory” देखी है, तो यह फिल्म आपको बहुत ज्यादा प्रभावित नहीं कर पाएगी।